आज के समय में राम क्यों ज़रूरी हैं

आज के समय में राम क्यों ज़रूरी हैं 

१. प्रस्तावना

युग बदले, ऋतु बदले,
मानव के मन के रंग बदले,
पर सत्य, मर्यादा, धर्म के दीप
हर युग में वही रहे—
क्योंकि राम वही रहे।

राम केवल अयोध्या के राजकुमार नहीं,
राम केवल वनवासी तपस्वी नहीं,
राम केवल रावण-विजेता नहीं,
राम तो जीवन के अनुशासन हैं,
राम तो मनुष्य के चरित्र का स्पंदन हैं।
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२. वर्तमान का परिदृश्य

आज का समाज भाग रहा है,
लालच के मेले में डूब रहा है।
रिश्ते मोल-भाव में बिकते हैं,
वचन व्यापार में टूटते हैं,
करुणा केवल किताबों में लिखी है,
और आस्था अक्सर मंचों पर बेची जाती है।

आज का मनुष्य—
सोने की गद्दियों पर भी चैन से सो नहीं पाता,
उसकी आत्मा भूखी है,
उसके हृदय में मर्यादा प्यास से तड़प रही है।

यहीं पर राम ज़रूरी हो जाते हैं।
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३. राम का आदर्श पुत्र

जब पुत्र पिता की आज्ञा भूल जाता है,
और घर का बंधन स्वार्थ से टूट जाता है,
राम का वनगमन स्मरण आना चाहिए—
जहाँ सिंहासन उनके चरणों में था,
फिर भी उन्होंने वनवास को स्वीकारा।

आज के पुत्रों को राम चाहिए,
जो दिखाएँ कि पिता की वाणी
धर्म से भी ऊँची होती है।
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४. राम का आदर्श भाई

आज जब भाई–भाई में दीवारें खड़ी हो जाती हैं,
संपत्ति के टुकड़े रिश्तों से भारी हो जाते हैं,
तब भरत का त्याग स्मरण आना चाहिए—
जिन्होंने राजगद्दी को ठुकरा कर
वन में राम के चरण चिह्न को राजचिन्ह बनाया।

आज के समय में भरत और राम दोनों ज़रूरी हैं,
क्योंकि भाईचारे का दीपक बुझ चुका है।
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५. राम का आदर्श पति

जब स्त्रियाँ असुरक्षा में जीती हैं,
जब दाम्पत्य केवल सुविधा का बंधन बन जाता है,
राम का व्रत स्मरण आना चाहिए—
जिन्होंने सीता की खोज में
समुद्र को बाँध दिया,
लक्ष्मण को संजीवनी के लिए भेजा,
वानरों की सेना को धर्म–युद्ध में लगाया।

राम की आँखों में एक ही स्त्री का प्रतिबिंब था,
और यह प्रतिबिंब उन्हें परमेश्वर बना गया।
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६. राम का आदर्श राजा

आज सत्ता केवल कुर्सी का खेल है,
आज राजनैतिक धर्म केवल भाषणों तक सीमित है।
राम का “रामराज्य” स्मरण आना चाहिए—
जहाँ कोई दुखी नहीं था,
जहाँ न्याय सूर्य की तरह समान था,
जहाँ राजा स्वयं सबसे पहले त्याग करता था।

आज के शासकों को राम चाहिए,
ताकि वे सत्ता को सेवा समझें।
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७. राम और रावण का सन्देश

आज हर घर में छोटा–सा रावण पल रहा है,
कहीं अहंकार के रूप में,
कहीं लोभ के रूप में,
कहीं वासना के रूप में।

रावण शक्तिशाली था,
ज्ञानवान था,
पर सत्य और मर्यादा से दूर था—
और इसी से नष्ट हुआ।

राम बताते हैं—
कि चाहे रावण कितना भी बड़ा क्यों न हो,
एक तीर सत्य का
सदैव उसे गिरा देगा।
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८. समाज में राम की आवश्यकता

जब समाज दिशाहीन हो जाए,
जब बच्चों के आदर्श फिल्मी चेहरों तक सिमट जाएँ,
जब शिक्षा केवल नौकरी का साधन बन जाए,
तब राम का जीवन
पाठशालाओं में गूँजना चाहिए।

राम का नाम केवल मंदिर में नहीं,
राम का आदर्श हर कक्षा में,
हर माँ की लोरी में,
हर पिता की सीख में,
हर भाई के आलिंगन में होना चाहिए।
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९. आज के राम

राम मंदिरों की मूर्तियों तक सीमित नहीं हैं,
राम हर उस हृदय में हैं
जहाँ सत्य और करुणा धड़कते हैं।
राम हर उस आवाज़ में हैं
जो अन्याय के सामने खड़ी होती है।
राम हर उस आँसू में हैं
जो किसी के दुख को बाँटता है।

आज के राम—
किसी गगनचुंबी ध्वज पर नहीं,
किसी राजसिंहासन पर नहीं,
बल्कि साधारण जन की आत्मा में बसते हैं।
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१०. उपसंहार

आज के समय में राम ज़रूरी हैं,
क्योंकि राम उम्मीद हैं—
कि झूठ कितना भी फैले,
सत्य की लौ कभी बुझ नहीं सकती।

राम ज़रूरी हैं—
क्योंकि राम विश्वास हैं—
कि हर रावण का अंत होता है,
हर सीता की रक्षा होती है,
हर सत्य अंततः विजयी होता है।

राम ज़रूरी हैं—
क्योंकि राम मर्यादा हैं,
राम धर्म हैं,
राम आदर्श हैं।

और जब तक यह धरती है,
जब तक यह आकाश है,
जब तक मनुष्य के हृदय में
सत्य की प्यास है—
तब तक राम ज़रूरी हैं।

डीबी-आर्यमौलिक

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