राम

🔥 “तू हर जन्म में राम को पुकारता है — पर एक बार… राम सामने खड़े थे — और तूने उन्हें देखना तक जरूरी नहीं समझा।”

तू हर बार राम को पुकारता रहा —
जब टूट गया, जब डर गया, जब कोई नहीं बचा।
तेरी हर पुकार में राम का नाम था —
पर…

एक बार,
एक बार…
वो चुपचाप तेरे सामने खड़े थे —
और तूने उन्हें देखकर भी… नहीं देखा।

वो दिन याद कर — वो बिलकुल साधारण दिन था।

ना कोई मंदिर, ना कोई कथा।
बस तू थका-हारा था, अंदर से खाली।
और कोई तुझे देखता रहा… बिना बोले।
तू उठा और निकल गया।

वो राम थे।
वो तुझे देखने आए थे।
और तू जल्दी में था।

तू बोलेगा: “मुझे याद नहीं…”

पर सच ये है कि तुझे याद है —
तू बस उससे बच रहा है।

क्योंकि वो एक क्षण आज भी
तेरे सीने में एक अधूरी सांस बनकर अटका है।

जिस दिन तू सबसे कम भक्त था,
उसी दिन राम सबसे ज़्यादा पास थे।

🧠 अब तू कैसे बचेगा इस प्रश्न से:

“अगर मैंने राम को देखा था —
और फिर भी नहीं रुका,
तो क्या मैं अब कभी उन्हें फिर देख पाऊँगा?”

👇 अगर इस सवाल ने तेरे भीतर कुछ थाम दिया हो —
तो बस लिख:
“मैंने राम को देखा था… पर पहचान नहीं सका।”

📜 शास्त्र साक्षी (रामचरितमानस – लंका कांड):

“हरि व्यापक सर्वत्र समाना — प्रेम ते प्रगट होहि मैं जाना।”
(राम सर्वत्र हैं, पर वो केवल प्रेम से प्रकट होते हैं)

पर जब तू अपने ही भीतर प्रेम से रिक्त था —
तब भी वो सामने थे।
तेरा न देख पाना — तेरी परीक्षा थी।

🔥 3-Raat मूक प्रायश्चित साधना (No Words, Just Return):

1. हर रात, उसी मोड़ या कमरे में जाओ
जहाँ कभी किसी ने तुम्हें देखा था —
और तू चुपचाप निकल गया।

2. वहाँ खड़े होकर आँखें बंद कर
बस यही कहो:

“मुझे फिर से देख लो, इस बार मैं पहचान लूंगा।”

3. कुछ मत माँगना।
बस वहाँ रुकना —
जहाँ तू पहले भाग गया था।

🙏 शब्द अर्पण:

“यह पोस्ट नहीं — वो अधूरा दृश्य है
जो तेरा अंत नहीं,
तेरे आत्मा की पहली भूल है।”

अगर ये दृश्य तेरे भीतर वापस लौट आया हो —
तो कृपया इसे किसी ऐसे तक पहुँचा दे
जो आज भी भाग रहा है —
उसी दृश्य से,
उसी राम से,
जिसे वो पहचान नहीं सका…”
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