चाणक्य नीति


चाणक्य नीति
प्रस्तावना-
अध्याय 1 – आचार और व्यवहार
इसमें अच्छे आचरण, सत्य, संयम और विवेक के महत्व पर बल दिया गया है। बुरे संग और आलस्य से बचकर, ज्ञान व सदाचार अपनाने की प्रेरणा दी गई है।

अध्याय 2 – मित्र और शत्रु की पहचान
सच्चे मित्र और छुपे हुए शत्रु को पहचानने के संकेत बताए गए हैं। योग्य गुरु, विनम्र व्यवहार और सज्जनों की संगति का महत्व समझाया गया है।

अध्याय 3 – धन, ज्ञान और यश
धन, विद्या, यश और धर्म के बीच संतुलन का संदेश। व्यर्थ खर्च, झूठे दिखावे और लोभ से बचने की सीख।

अध्याय 4 – जीवन में सावधानी
जीवन के संकट, विपत्तियों और अवसरों को समझदारी से संभालने के उपाय। काम, क्रोध और अहंकार से बचने की सलाह।

अध्याय 5 – समय और परिस्थिति
समय, स्थान और परिस्थिति का सही मूल्यांकन करने की आवश्यकता। आलस्य, असावधानी और अनुचित समय पर काम करने से हानि बताई गई है।

अध्याय 6 – परिवार और समाज
परिवार में अनुशासन, संस्कार और आपसी सद्भाव का महत्व। योग्य संतान, धर्मपत्नी और अच्छे पड़ोस के लाभ बताए गए हैं।

अध्याय 7 – नीति और धर्म
धर्म, नीति, सदाचार और कर्तव्य के बीच संतुलन कैसे हो, इस पर मार्गदर्शन। अधर्म करने वाले का अंत कैसे होता है, यह भी बताया गया।

अध्याय 8 – आत्मसंयम और इंद्रिय-निग्रह
इंद्रियों पर नियंत्रण, विवेकशीलता और तपस्या के लाभ। लोभ, वासना और मद से दूर रहने की शिक्षा।

अध्याय 9 – स्त्री और परिवार नीति
स्त्री-पुरुष के आदर्श गुण, परिवार में नारी की भूमिका, और अनुचित आचरण से बचने के संकेत।

अध्याय 10 – शासन और प्रशासन
राजा, मंत्री, दूत और प्रजा के कर्तव्य। सत्ता चलाने की नीतियाँ और गुप्तचर व्यवस्था के महत्व का उल्लेख।

अध्याय 11 – शिक्षा और गुरु
गुरु, शिक्षा और विद्या का सही महत्व। विद्या को विनम्रता, सेवा और अभ्यास से प्राप्त करने की प्रेरणा।

अध्याय 12 – सफलता और परिश्रम
परिश्रम, धैर्य, उत्साह और सावधानी से सफलता प्राप्त करने के सूत्र। किस प्रकार आलसी व्यक्ति जीवन में पिछड़ता है।

अध्याय 13 – मित्रता और संगति
किसके साथ मित्रता करनी चाहिए, किससे दूरी रखनी चाहिए। सज्जनों की संगति और दुष्टों से बचने का महत्व।

अध्याय 14 – गुप्त बातें और रहस्य
व्यक्तिगत और पारिवारिक रहस्यों को सुरक्षित रखने की शिक्षा। अनावश्यक खुलापन और जल्दबाज़ी से हानि के संकेत।

अध्याय 15 – कर्म और भाग्य
कर्म और भाग्य का संबंध। कर्म को प्रधान मानते हुए कठिनाई में भी पुरुषार्थ करते रहने की प्रेरणा।

अध्याय 16 – मृत्यु और अनित्य जीवन
जीवन की अनित्यता, मृत्यु की निश्चितता और धर्मपालन की आवश्यकता। लोभ-मोह से मुक्त होकर कर्मयोग की सीख।

अध्याय 17 – सद्गुण और आत्मविकास
सद्गुण, ईमानदारी, तप, संयम और आत्मविकास का महत्व। अंततः चरित्र और नीति ही व्यक्ति को महान बनाती है।

क्रमशः-अध्याय-1
DB-ARYMOULIK

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