भावेश ग्रह
ज्योतिष शास्त्र में जन्म कुंडली के प्रत्येक भाव का अपना एक महत्व होता है, और उस भाव को संचालित करने वाला एक स्वामी ग्रह भी होता है। इस ग्रह को ही भावेश कहा जाता है। भावेश का निर्धारण बहुत सरल, तर्कपूर्ण और मूलभूत सिद्धांत पर आधारित है: जिस भाव में जो राशि स्थित होती है, उसी राशि का स्वामी ग्रह उस भाव का भावेश बन जाता है। इस नियम को समझना किसी भी कुंडली का गहराई से विश्लेषण करने की पहली और सबसे महत्त्वपूर्ण सीढ़ी है। कुंडली में कुल १२ भाव होते हैं और उसी प्रकार आकाश में १२ राशियाँ—मेष, वृषभ, मिथुन, कर्क, सिंह, कन्या, तुला, वृश्चिक, धनु, मकर, कुम्भ और मीन—मौजूद रहती हैं। हर राशि का अपना एक स्वामी ग्रह होता है, जैसे—मेष का मंगल, वृषभ का शुक्र, मिथुन का बुध, कर्क का चंद्रमा, सिंह का सूर्य आदि। जब जन्म के समय किसी व्यक्ति की कुंडली के किसी विशेष भाव में एक विशेष राशि बैठी होती है, तो उस राशि का स्वामी ही उस भाव के फल, प्रभाव, गुण और परिणामों को नियंत्रित करता है। इसी कारण उसे उस भाव का भावेश कहा जाता है। उदाहरण के लिए, मान लीजिए कि किसी व्यक्ति के जन्म के समय उसकी कुंडली के प्रथ...